मत पूछ ऐ काफ़िर
  मत पूछ ऐ काफ़िर   Copyrights reserved. Any extract may be reused with credit as Source: mulshankar13       मत पूछ ऐ काफ़िर कि आज किराएदार क्यूँ हूँ  कोई   एक मर्तबा इस दहलीज़ पर दस्तक तो देगा!    मत पूछ ऐ काफ़िर कि इन दीवारों पर इतने शीशें क्यूँ हैं  कोई रहता है यहाँ कभी उसका एहसास तो होगा!    मत पूछ ऐ काफ़िर कि आज तन्हा क्यूँ हूँ   कोई था अपना मेरा उसका क़त्ल किया तो होगा!   मत पूछ ऐ काफ़िर कि आज ज़िंदा क्यूँ हूँ  कोई क़ब्र पर मेरे कलमा पढ़े उसका इंतज़ार तो होगा!