पड़ोसन
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पड़ोस की वह बत्ती बुझी क्यूँ है?
वह तांक-झाँक करती पड़ोसन रूठी क्यूँ है ?
उस पार डोरी पर सूख रहे
जो कपड़े कल तक व्यंग्य करते थें
वो डोरी आज यूँ चुपचाप खाली क्यूँ है ?
आधे द्वेष आधी सद्भावना से
आधा खुला रहता वह किवॉर
आज पूरा बंद क्यूँ है ?
पड़ोस की वह बत्ती बुझी क्यूँ है ?
वह तांक-झाँक करती पड़ोसन रूठी क्यूँ है ?
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